वार्षिक प्रतियोगिता हेतु कविताएं
विधा: कविता
शीर्षक : आमदनी
वार्षिक प्रतियोगिता हेतु
आमदनी की रेल ,
भई बजट है फेल ..!
धक्का मार- मार पटरी पर झुक - झुक चली,
मास की पहली तारीख तनख्वाह मिली ..!
सुनहरे ख्वाब इक्कतीस को दिखाए ,
नवेली सैलरी सब्ज बाग सैर कराए ..!
आमदनी बेवफा ,पैसा हुआ सफा,
घर का बेलेंस गजब बिगड़ा ..।
इनकम ,जी. एस . टी . टैक्सों का शोर ,
इनकम कम,सिपाही पीछे ,पैसा हुआ चोर ..!
नैन तरसे ,धन बरसे मन भरके ,
जेब से नोट सरके,बिगुल बजाते बढ़ते खर्चे ।
मुन्नी की फीस ,बाबू की पढ़ाई,
ये बजट तू कैसा निकला हरजाई ..!
धोबी का साथ, हाथ की सफाई ,
त्योहार में लम्बे नाप ली गंगू बाई
सबका देते -देते कमर झुक गई ,
मेडिकल खर्चों की वाट लग गई ..!
सीवर -जल संस्थान ,हाउसिंग टैक्स की मार,
बीमार महंगाई में लाइलाज पैसों का भार..!
आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया,
मायावी दुनियां का सच झकझोर गया ..!
कितने महंगे हम हैं आमदनी दिखती,
जितनी चादर पांव पसारो उतनी ..!
( स्वरचित 23:25p.m.)
सुनंदा ☺️
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Jun-2023 02:44 PM
बेहतरीन और यथार्थ चित्रण
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Simran Bhagat
26-Feb-2022 02:44 PM
Great👌👌
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